हिन्दी साहित्येतिहास के विभिन्न कालों के नामकरण का प्रथम श्रेय जार्ज ग्रियर्सन को है।
हिन्दी की प्रथम महिला उपन्यासकार 'साध्वी सती प्राण अबला' को माना जाता है।
सन् 1954 ई. मे प्रकाशित रामजी लाल सहायक कृत 'बंधन मुक्त' हिन्दी का प्रथम दलित उपन्यास है।
सतीश द्वारा रचित 'वचनबद्ध' को हिन्दी की प्रथम दलित कहानी स्वीकार किया जाता है।
अपने मानसिक भावों या विचारों को संक्षिप्त रूप से तथा नियन्त्रित ढंग से लिखना 'निबन्ध' कहलाता है।
अर्द्धकथानक (1641 ई०)- बनारसीदास जैन
मेरा संक्षिप्त जीवन चरित्र-मेरा लिखित (1920 ई०)-राधाचरण गोस्वामी
गोपाल शर्मा शास्त्री- दयानंद दिग्विजय (1881 ई०)
गोसाई गोकुलनाथ- चौरासी वैष्णवन की वार्ता, दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता (17 वीं सदी ई०)
प्रकाशचंद्र गुप्त- शब्द-चित्र एवं रेखा-चित्र (1940 ई०, पुरानी स्मृतियाँ और नये स्केच (1947 ई०)
दामोदर शास्त्री- मेरी पूर्व दिग्यात्रा (1885 ई०), मेरी दक्षिण दिग्यात्रा (1886 ई०)
शिवदान सिंह चौहान- लक्ष्मीपुरा (1938 ई०, 'रूपाभ' पत्रिका में प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट)
धीरेन्द्र वर्मा (1897-1973 ई०)- ला लाँग ब्रज (फ्रेंच भाषा में, 1935 ई०, हिन्दी में अनुवाद- 'ब्रजभाषा' नाम से)
हिन्दी साहित्य पहला पत्र संग्रह महात्मा मुंशीराम ने सन् 1904 ई० में प्रकाशित करवाया।
हिन्दी में डायरी विद्या का प्रवर्तन श्री राम शर्मा कृत 'सेवाग्राम की डायरी' (1946) से माना जाता है।
हिन्दी की प्रथम पत्रिका 'उदन्त मार्तंड' 30 मई 1826 ई० को प्रकाशित हुई।
हिन्दी दलित पत्रकारिता की शुरुआत अम्बेडकर के 'जनता' पत्र से माना जाता है।
समाचार-सुधावर्षण : 1854, कलकत्ता से प्रकाशित, संपादक : श्यामसुंदर सेन, प्रथम हिंदी दैनिक पत्र
हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग- 1910 ई० (प्रथम सभापति-मदन मोहन मालवीय)
प्रपद्यवाद या नकेनवाद- नलिन विलोचन शर्मा, केसरी कुमार, नरेश मांसलवाद रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
अमीर खुसरो- हिन्दुस्तान की तूती/हिन्द-इस्लामी समन्वित संस्कृति का प्रतिनिधि
320 गुप्त लिपि का उद्भव (ब्राह्मी की उत्तरी शैली से) जोकि 5 वीं सदी ई० तक प्रयुक्त होती रही।
हिन्दी में इण्टरव्यू विद्या के प्रवर्तक पं० बनारसीदास चतुर्वेदी माने जाते हैं।
सर्वप्रथम सतसई परंपरा का आरंभ- तुलसी सतसई (कुछ कृपाराम की 'हिततरंगिनी' को मानते हैं)
हिन्दी साहित्य से सबंधित नीचे कुछ प्रश्न दिया जा रहा है-